जीना आया किसे यहाँ,
कोई रोता रहा उम्र भर, तो कोई रुलाता रहा,
किसी पे हस्ता रहा कोई , किसी को हँसना नही आया॥
कोई प्यार को तरसता रहा उम्र भर,
तो कोई प्यार लुटाता रहा उम्र भर,
फ़र्ज़ समहझ कर निभाया किसी ने ज़िन्दगी को,
तो कोई अपने ही गम में डूबा रहा उम्र भर।
कोई सताता रहा दूसरो को,
तो कोई गिले शिकवे करता रहा उम्र भर,
हमें तो ज़िन्दगी से कोई शिकवा नही,
क्योंकि,
हम सबके लिए दुआ ही मांगते रहे उम्र भर |
कोई रोता रहा उम्र भर, तो कोई रुलाता रहा,
किसी पे हस्ता रहा कोई , किसी को हँसना नही आया॥
कोई प्यार को तरसता रहा उम्र भर,
तो कोई प्यार लुटाता रहा उम्र भर,
फ़र्ज़ समहझ कर निभाया किसी ने ज़िन्दगी को,
तो कोई अपने ही गम में डूबा रहा उम्र भर।
कोई सताता रहा दूसरो को,
तो कोई गिले शिकवे करता रहा उम्र भर,
हमें तो ज़िन्दगी से कोई शिकवा नही,
क्योंकि,
हम सबके लिए दुआ ही मांगते रहे उम्र भर |
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