कभी-कभी अपना साया भी
साथ देता नहीं,
कभी-कभी प्यार अपनों का,
भी करार देता नहीं,
कभी-कभी अंखियों की नींद,
सुकून देती नहीं,
कभी-कभी सारी नदियों का जल,
प्यास बुझाता नहीं,कभी-कभी
अज़ीज़ दोस्तों की दोस्ती रास आती नहीं,
अक्सर लोगों को अपने शुभचिंतकों की बात भाती नहीं|