About Ritu Jain!

New Delhi, India
I am Ritu Jain,48 years and happily married . I live in Delhi. A Housewife who is a Psychology Hons. Graduate and wants to bring cheer and smile to every person who does not have one.Being creative is my lifeline. I am very happy today that I have launched my own Blog, to share my poems,thoughts,experiences and various colors in my life.

Sunday, April 5, 2009

कभी कभी जीवन में कुछ पाने के लिए कुछ खोना पड़ता है,
जैसे कभी कभी हँसते हुए रोना पड़ता है ,
इंसान वोह है जो हर हाल में रहकर प्रसन्न ,
याद करता रहे उस परम शक्ति को,
सत्कर्मो से अपने,
उज्वलित रखे अपनी जीवन ज्योति को|
फासलें और उलझनें बढने लगती हैं,
जब हम अपने दिल की बात कह नही पाते,
रिश्तों के बीच दूरियां बढने लगती है,
जब हम चुप नही रह पाते,
दिलों को दिल से मिलाकर ही,
बीच की दीवारें हटाकर ही,
दूर कर पायेंगे वोह दूरियां,
जो जाती है दर्मियां |
चारों दिशाओं में बजने लगती हैं घंटियाँ ,
जब तुमाहरे आने कि हवा लाती है ख़बर
खुशबू से महक उठता है उपवन हर वक्त
तुम्हे ढूढती है मेरी बेचैन नज़र जाओ ,ऐसा न हो कि
ख़त्म हो जाए ज़िन्दगी का सफर.

Don't view problems negatively.Look upon them as training grounds.When you face a problem,turn your attention to solutions.Be the source of a solution to the problem rather than become its victim.
पायल की रुनझुन तुम्हारी ,
करती है मन प्रफ्फुलित मन मेरा
तेरे आने से महक उठता है
घर-आँगन मेरा.
 
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