मन बहुत चंचल है,शीघ्र ही,
होने लगता है विकल,
दंग हो जाती हूँ कभी-कभी
देख कर इसकी उमंग,
शुक्र है,इस पतंग रुपी जीवन की
डोर है,दीनानाथ के हाथ में ,
न जाने क्या होता हमारा,
यदि,आप न होते साथ में|
"MY IMAGINATION WILL GO FAR AND WIDE FROM ONE TIDE TO ANOTHER TIDE"
New Delhi |