About Ritu Jain!

New Delhi, India
I am Ritu Jain,48 years and happily married . I live in Delhi. A Housewife who is a Psychology Hons. Graduate and wants to bring cheer and smile to every person who does not have one.Being creative is my lifeline. I am very happy today that I have launched my own Blog, to share my poems,thoughts,experiences and various colors in my life.

Saturday, January 2, 2010

जिस प्रभु ने बनायाहै तुझे,
इंसान उससे तो डर ,
किसी का दिल दुखाना बेवजह बुरा है,
किसी मासूम की जान लेना उससे भी बुरा है,
देखकर उन जानवरों की आँखों में ,
मौत का डर,
लगा कुछ पल के लिए जैसे,
जिंदगी गई हो ठहर|

रात और दिन का हर पहर ,
बीत रहा है धीरे-धीरे,
जीवन का हर लम्हा,
बीत रहा है धीरे-धीरे
इंतज़ार तुम्हारा असहनीय 
हो चला है धीरे-धीरे
नींद पलकों से कोसों दूर जा चुकी,
कबकी धीर-धीरे
आँखें बरस-बरस कर थक चुकीं,
अब तो धीरे-धीरे|

Peace is sought as much by the rich as the poor.The poor need food and shelter for peace and the rich need peace despite having food and shelter.This is the paradox faced by almost everyone.

आसमान के रंग अनेक हैं,
कभी हलके हैं,तो कभी गहरे हो जातें हैं,
मनुष्य जीवन से भी गहरा लगाव है इन रंगों का,
खुशियों के रंग चटक,और ग़मों के रंग हलके लगने लगतें हैं,
अक्सर,हकीक़त के रंग बेरंग,और सपने सुनहरे लगनें  लगतें हैं|
अपने लिए तो सभी जीते हैं,दूसरों के लिए भी जीकर देखें|अपनी क्षमतानुसार निर्धन,अपाहिज और असहायों की सहायता करें|
 
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