देखा है,
झूठे ज़माने का चलन,
देखा है,
अपना बनकर,दिल को चोट पहुंचाने का यतन,
क्यों नहीं देख पाती,दूसरों को खुश दुनिया,
क्यों बिन बात,जी को जलाती है दुनिया,
न जाने क्यों,
हँसते हुओं को रुलाती है,ये निर्मोही दुनिया|
"MY IMAGINATION WILL GO FAR AND WIDE FROM ONE TIDE TO ANOTHER TIDE"
New Delhi |