के दाना,ख़ाक में मिलकर
गुले-गुलज़ार होता है,
कोई हँसता रहे कितना,
मगर हर दिल में छुपा कोई दर्द होता है,
मैं जानता हूँ सबकुछ,पर
मेरी मजबूरी है,के मैं रो भी नहीं सकता,
दुनिया बेरहम,किसी को चैन से जीने नहीं देती,
तसल्ली है,तो बस इस बात की,
खुदा का हाथ हो जिसपर,उसका बाल भी बांका हो नहीं सकता|