न जाने क्यों और कैसे ,
रिश्ता ये कैसे जुड़ गया तुमसे,
जो न हँसता है,न रोता है,
न चलता है,न रुकता है,
कभी-कभी दिल की उस मजबूरी पर
तरस आने लगता है,
जो तुमसे दूर भी नहीं जाना चाहती,
और तुम्हारे पास भी नहीं,
तुमही बताओ क्यों ,तुम्हे याद करके,
सुकून मिलने से ज्यादा,बेचैनियाँ बढने लगतीं हैं हमारी|