About Ritu Jain!

New Delhi, India
I am Ritu Jain,48 years and happily married . I live in Delhi. A Housewife who is a Psychology Hons. Graduate and wants to bring cheer and smile to every person who does not have one.Being creative is my lifeline. I am very happy today that I have launched my own Blog, to share my poems,thoughts,experiences and various colors in my life.

Sunday, April 12, 2009

बेरहम वक़्त का मज़ाक तो देखो,
हम अपने जज़्बात दबा पाये,
ही हम आपसे कुछ कह पाए,
रेत की तरह फिसलते हुए हर लम्हे ,को चुपचाप
लब सीकर देखते रहे,और ज़ार ज़ार रोते रहे.
स्वागत करो बाहें फैलाकर हर नई सुबह का ,
स्वागत करो बाहें फैलाकर हर नए मौसम का ,
स्वगत करो,पंछियों और बहारों का,
स्वगत करो,सूरज ,चाँद ,तारों का.
दीप खुशियों के यूहीं जलाते रहना तुम,
मुस्कराहट अपनी यूहीं लुटातें रहना तुम,
हमसे दूर रहो ,या पास हमारे रहो तुम
हृदय में हर किसी के यूहीं फूल खिलाते रहना तुम.
Anyone can become angry-that is very easy,but to be angry with the right person,to the right degree,at the right time,for the right purpose,and in the right way is not easy.
ज़िन्दगी उम्र का दौर ही सही,
ज़िन्दगी रिश्तों का जाल ही सही,सच तो यह है
ज़िन्दगी कागज़ कि एक नाव है, जाने कब बह जाए
जिंदगी का क्या भरोसा,
यह एक पल हंसाये,तो एक पल रुलाए .
Teacher;Tarun you have failed in English.
Tarun;How me failed?? unpossible.!!
सुख-दुःख के घुंघरू तो जीवन में बजते ही रहेंगे ,
हर परिस्थिति ,में शांत रहकर ही हम निकल
पाएँगे अपनी मुश्किलों से ,
दूर होंगी उलझने मन की,
फुहारें बरसेंगी ,महक उठेगा जग सारा सुंदरफूलों
की खुशबू से
 
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