कभी-कभी डरती हूँ,
किसी के काम आए बिन,
कहीं मर न जाऊं मैं,
किसी रोते हुए को हँसाए बिन,
कहीं खुशियाँ मनाऊँ मैं,
किसी के जीवन के अंधेरों को,
उजालों में बदलकर,चैन पाऊँ में,
किसी की बेरंग जिंदगानी को,
प्रेम के रंगों से सजाऊँ मैं,
किसी के दर्द को समझूं,
किसी की मुस्कराहट का,सबब बन जाऊं मैं,
कभी-कभी डरती हूँ,किसी के काम आए बिन.....