मौसम ने ली अंगडाई,याद तुम्हारी आने लगी,
तनहा दिल की उदास गलियों में,
फिर से शहनाइयाँ बजने लगीं,
न जाने क्यों ऐसे लगा,जैसे बादलों के ऊपर कहीं,
बज रही है,बांसुरी की मीठी तान कहीं,
काश तुम आ जाओ,अचानक कहीं से,
ऐसा न हो,जिंदगी का दामन छूट जाए,
तुम्हारा इंतज़ार करते-करते कहीं|