चलो कुछ तो मन हल्का हो गया,
कह कर मन की बात तुमसे,
न जाने कब से ढो रहे थे ,
बोझ तुम्हारी नासमझी का,
तुम्हारे लबों पर देखने को एक मुस्कान,
कितनी खुशियों के पल गँवाए है ,हमने
तुम्हारी खातिर,हमने रौंदे हैं सपने कितने|
"MY IMAGINATION WILL GO FAR AND WIDE FROM ONE TIDE TO ANOTHER TIDE"
New Delhi |