प्यासा था वो पंछी,
व्याकुल था पानी पीने को,
प्यासा थे वो पंथी भी,
पानी की तलाश थी जिसको,
दोनों को जैसे मिल गया जीवन,
पानी के प्राप्त होते ही,
उसका क्या?
जो सबकुछ होते हुए भी,भटक रहा
अतृप्त इच्छाओं के पीछे,
अज्ञानता और मोह-माया में फंसकर
भूल गया है,चैन से जीना भी|