कैसा सन्नाटा पसरा है,
उस नन्ही सी चिड़िया के घोंसले में,
जिसका मासूम सा बच्चा उठा कर,
ले गया वोह,निर्दयी काला कौआ,
न सोचा उसने इक पल को भी,
उस बच्चे के माँ-बाप के संताप से,
भरे दिलों के बारे में,
न सोचा उसने इक पल को भी,
जीते-जी अपनी संतान से जुदा होनेवाले,
किस्मत के मारों के बारे में,
हे प्रभु,कुछ करो,
दुःख दूर करो,उन असहाय पक्षियों के|