क्यों न हम अपने जीवन की कहानी
खुद लिखें,
हिम्मत और परिश्रम की स्याही से,
क्यों न दूसरों के दोषों को नज़रंदाज़ करके,
अपने दोषों को कम करनें का प्रयत्न करें,
किसी ज़रूतमंद के काम आकर,दुनिया के
गम कुछ कम करें,
फूल बिछाएं जिस राह से गुजरें हम,
सिर्फ खुशियाँ ही खुशियाँ बाँटें हम|