गरीबों की विपदाओं का तो अंत नहीं,
कहीं रोटी,कहीं कपड़ा,
कहीं सर ढकने को छत तक नहीं,
किसी -किसी की तो दशा,दयनीय है इतनी
दुखों का तो अम्बार है लगा,सुख इक बूँद जितनी,
हे प्रभु,सुध ले लो उनकी,
रोते-रोते आँखें भी सूख चुकी,है जिनकी|
"MY IMAGINATION WILL GO FAR AND WIDE FROM ONE TIDE TO ANOTHER TIDE"
New Delhi |