कभी किसी गरीब की झोंपड़ी में
तो झांककर देखो,
कुछ पल के लिए ही सही,उसके
दुःख-दर्द उधार लेकर देखो,
उसकी गरीबी से बोझिल आँखों,की
बेबसी को महसूस करने की सोचो,
उसके फटे पैबन्दों से,उनकी हताश
जिंदगी की विवशता को समझो,
कभी सच्चे मन से,किसी गरीब-जरूरतमंद
के काम आकर तो देखो,
कभी किसी गरीब की झोंपड़े.....