अपने दुःख में,कैसे आ जाते हैं आंसू,
दूसरों के दुःख छू पाए,मन को,तो बात है,
अपनी बुराइयां कि तरफ कभी नज़र जाती नहीं,
दूसरों कि कमियां,नज़रंदाज़ कर पाएं,तो बात है,
अपनी खुशियाँ में कैसे,नाचने लगता है मन,
दूसरों के सुख में आनंदित हो मनतो बात है,
हर सफलता का श्रेय देतें है खुद को,
प्रभु की कृपा,का दिन-रात स्मरण करें तो क्या बात है|