एक परिंदे को उड़ते देख,
न जाने क्यों मन में जागी उड़ने की ललक,
उसका रिश्ता देख आसमान से,
आसमान को छूने को मन बेचैन होने लगा,
बादलों की उंचाई,कम लगने लगी,
मन की उमंग के सामने,
जीवन की डोर भी कमज़ोर लगने लगी,
उस पंछी के हौंसलों के सामने|
"MY IMAGINATION WILL GO FAR AND WIDE FROM ONE TIDE TO ANOTHER TIDE"
New Delhi |