इंसानी रिश्तों का अजब सा मायाजाल देखा,
प्रेम-प्यार के नाम पर,हर तरफ छलावा देखा,
गिले-शिकवे एक दूसरे से करते,थकते नहीं लोग,
इंसान तो क्या,भगवान् के नाम पर भी ठगते हैं लोग,
न जाने क्यों,सुख-शान्ति भूलकर,
लड़ने-झगड़ने को तुला है हर इंसान,
मद और क्रोध के वश में होकर,भटक रहा हर इंसान|