हथौड़ा चलाते हुए मजदूर के हाथों को,
देखो कभी,
भूखे पेट कितना पसीना बह गया उसका,
देखो कभी,
न गर्मी,न सर्दी,न बरसात में रुकते उसके हाथ कभी,
ऐसा लगता है जैसे,आराम,नींद,चैन उससे कोसों दूर हैं सभी|
"MY IMAGINATION WILL GO FAR AND WIDE FROM ONE TIDE TO ANOTHER TIDE"
New Delhi |