जीवन,पथरीली ज़मीन है,किसी के लिए
जीवन,मखमल सा नरम है,किसी के लिए
जिंदगी,कड़ी धूप सी चुभती है किसी को,
जिंदगी,ठंडी छाँव सी लगती है किसी को,
फूल सी कोमल प्रतीत होती है,जिंदगी किसी को
काँटों सी चुभती है ,जिंदगी किसी को,
लेकिन सच तो ये है,
अपने ही कर्मों का लेखा-जोखा है जिंदगी,
कभी न कभी आइना दिखाती है,सभी को|
कभी न कभी आइना दिखाती है,सभी को|