About Ritu Jain!

New Delhi, India
I am Ritu Jain,48 years and happily married . I live in Delhi. A Housewife who is a Psychology Hons. Graduate and wants to bring cheer and smile to every person who does not have one.Being creative is my lifeline. I am very happy today that I have launched my own Blog, to share my poems,thoughts,experiences and various colors in my life.

Saturday, October 3, 2009

जैसे इन्द्रधनुष के रंग
बिखरकर हवाओं में खुशनुमा एहसास देते हैं,
जैसे बूँदें वर्ष की ,
बरसकर धरती को ठंडक देतीं हैं,
जैसे सूर्ये की किरणें ,
हर ओर नव-जीवन प्रदान करती है,
वैसे ही तुम्हारी चाहत ,
मुझे आगे बढने की प्रेरणा देती है|
When you laugh,the world laughs with you,when you cry,you are alone.
We lose our equanimity and peace of mind at trifles.We forget we are perhaps as much responsible for the chaos in the world as others are.
बचपन तो छूट गया,पर
मन अब भी भटक रहा उन गलियों में,
जहाँ खेला करते थे,हम
गिल्ली-डंडा खेला,पकडन-पकडाई 
लंगरी-टांग और छुपन-छुपाई भी,
अपने संगी-साथियों के संग,
कैसा वक़्त था वो,न रहता था
अपना होश और न घर जाने का,
बड़ा मस्त और अल्हड़ था ,
वो बचपन जो छूट गया .......
Right thinking is a habit that can be cultivated.Substitution of positive thoughts and flooding the mind with creative ideas are methods by which we can flush the floor of the mind.
जीवन भर का नाता है तुमसे,
जो टूटेगा न कभी,
प्यार के रंग गहरे हैं ,
जो छूटेंगे न कभी,
तुमसे मिली जो खुशियाँ हमें,
हम भूलेंगे न मरते दम तक कभी|
Man is the architect of his fortune and misfortune.
वक़्त देता हर दिन ,एक नया पैगाम,
क्योंकि,उसके हाथ में है हमारी लगाम,
कद्र करनी होगी,हर पल की हमें,
तभी मंजिल प्राप्त होगी हमें|
 
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