About Ritu Jain!

New Delhi, India
I am Ritu Jain,48 years and happily married . I live in Delhi. A Housewife who is a Psychology Hons. Graduate and wants to bring cheer and smile to every person who does not have one.Being creative is my lifeline. I am very happy today that I have launched my own Blog, to share my poems,thoughts,experiences and various colors in my life.

Thursday, August 6, 2009

बेबस बुढापे की तस्वीर ने आज झकझोर दिया,
अपने होने का दावा करनेवाले ने उनका साथ छोड़ दिया,
चेहरे पर हँसी है,आँखें थी नम,तन्हाई और अकेलेपन का संग है,
किन कर्मों की मिली सजा,अपना शरीर भी देने लगा दगा है,
हर पल रब से अपने पास बुलाने की मांगते दुआ
किस्मत ने रोने दिया,और हंसनें दिया.
The mind is one of god's most amazing gift to man.If only we could train our mindsand ourselves to use this fabulous power in the right way,what can we not achieve.
The world outside you is a result of what you think,what you feel and your activities.
Never hate or resent people.Let love and forgiveness be the law of your life.
कठपुतली है ,वक़्त के हाथों की,
हर जीव,जंतु और इंसान,
न जाने कितने पलों को जोड़कर,
बने है,आज और बीते हुए कल,
कुछ आधी,कुछ अधूरी रहीं ,कुछ
पूरी हो गईं ,इच्छाएँ जो थी अनगिनत,
संसार में जन्म लेते ही जुड़ गए ,
रिश्ते-नाते बेहिसाब,
अपने ही जाल में उलझ कर भूल गया,
अपने जन्मदाता को भी इंसान।
टूटने मत दीजिये सम्बन्ध प्यालों की तरह,
आंच देंगें सर्द हवाओं में दुशालों की तरह ,
कांपती लौ की जलकर बुझे,बुझकर जले,
वो जिन्हें तमन्ना थी जलने की मशालों की तरह।
The morning rays bring with them a ray of hope,fragnance of flowers and a flight of imagination in the infinite sky.
 
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