About Ritu Jain!

New Delhi, India
I am Ritu Jain,48 years and happily married . I live in Delhi. A Housewife who is a Psychology Hons. Graduate and wants to bring cheer and smile to every person who does not have one.Being creative is my lifeline. I am very happy today that I have launched my own Blog, to share my poems,thoughts,experiences and various colors in my life.

Wednesday, August 11, 2010

उजाले कहाँ हैं,पूछते हैं
अंधेरों में घिरे हैं जो,
किनारे कहाँ हैं,पूछते है,
मझधार में फंसे हैं जो,
सपनों की दुनिया कहाँ हैं,पूछते हैं,
कड़वी हकीक़त से टकराकर बिखर चुकें हैं जो,
बहार कहाँ है,रोकर पूछता है,
पतझड़,सूना-सूना सा लगता है जो,
अक्सर,कोई अपना ढूँढता है,दिल
अजनबियों की दुनिया में,खो गया है जो|
No external thing can hurt you unless you give it the power to hurt.
एक व्यक्ति खुद को दुनिया का सबसे दुखी आदमी समझता था|उसने एक दिन परमात्मा से प्रार्थना की,'हे प्रभु,मेरे सिवाय दुनिया में सभी सुखी नज़र आतें हैं,तू मुझे इतना दुःख न दे की मैं सह न सकूं|एक कृपा कर,तू मुझे किसी और का दुःख दे दे|मेरा दुःख किसी और को दे दो|'रात में उसने एक स्वप्न देखा|एक कमरे में चारों ओर बहुत सी खूटियाँ लगीं थी|उस कमरे में जो भी आता उसकी पीठ पर दुखों की गठरी बंधी थी|सभी आकर अपनी दुखों की गठरी किसी खूँटी पर टांगते और बैठ जाते|उस व्यक्ति ने अपनी दुखों की गठरी भी वहां टांग दी| तभी वहां एक आवाज़ गूंजी,जिसे भी अपनी गठरी बदलनी हो बदल लो,चलो एक-एक गठरी उठा लो|सभी गठरियाँ उठाने दौड़े,पर सभी ने अपनी-अपनी गठरी उठाई,किसी दूसरे की गठरी को हाथ नहीं लगाया|उसी समय उस व्यक्ति की नींद टूट गयी,वह स्वप्न का आशय समझ गया|उसे समझ में आ गया की दुखी होने का कोई अर्थ नहीं है,दुनिया में हर कोई दुखी है|बेहतर है की दुखों से संघर्ष करके सुख की खोज की जाए|
The right way to live is to move forward and greet every experience-pleasant or painful with a grateful  heart.
Sympathy is a great healer.Keep on giving it to every sick person-also to every healthy one you meet!
 
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