कभी-कभी अपना साया भी
साथ देता नहीं,
कभी-कभी प्यार अपनों का,
भी करार देता नहीं,
कभी-कभी अंखियों की नींद,
सुकून देती नहीं,
कभी-कभी सारी नदियों का जल,
प्यास बुझाता नहीं,कभी-कभी
अज़ीज़ दोस्तों की दोस्ती रास आती नहीं,
अक्सर लोगों को अपने शुभचिंतकों की बात भाती नहीं|
3 comments:
बढ़िया रचना...
Bilkul sahi!
Little sis
y so negative?
i think 4 ew being pessimistic and optimistic is the real color of life........
ritu aunty is d one who is a dynamic spirit on her own.....
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