पंछी,परिंदे,सब भाव-विभोर हो रहें हैं,
फूल-पत्ते वर्षा के पानी से धुलकर पावन हो रहे हैं,
ठंडी हवाएं,मन को अति प्रसन्न कर रही है,
लगता है जैसे,कायनात की हर कली मुस्कुरा रही है,
सिर्फ मेरा मन बेचैन है,सोचकर
तुमसे दूर क्यों हूँ,
बस इस सुहानी रुत में,तुम्हारी याद सता रही है|
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