लहरों की बेचैनी को,
बस सागर समझता है,
धरती की बेचैनी को,
बस बादल समझता है,
जैसे अपने बच्चे की पीड़ा को,केवल
एक माँ का दिल समझता है,
और मेरे मन की तड़प को,
सिर्फ तुम्हारा मन समझता है|
"MY IMAGINATION WILL GO FAR AND WIDE FROM ONE TIDE TO ANOTHER TIDE"
New Delhi |
3 comments:
सटीक अभिव्यक्ति
शानदार पोस्ट
सही है...
टिप्पणी का महत्व
एक ब्लॉगर समझता है
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