तनहा बहुत थे हम,तुम्हारे आने से
जैसे दूर हो गए सब गम,
सरगम सी बजने लगी,हवाओं में,
मदहोशी सी छाने लगी फिजाओं में,
बागों में,कलियाँ फूल बनकर मुस्कुराने लगी,
मन में प्रेम की तरंगें हिलोरे खाने लगीं,
हर दिशा से,बस खुशबू ही खुशबू आने लगी,
तुम क्या आए,हर ओर खुशियाँ ही खुशियाँ छाने लगीं|
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