भावनाएं हर पल अपना रूप बदल रहीं हैं,
कभी प्रसन्न करती हैं,
तो कभी स्वंय से ही छल कर रहीं हैं,
कभी सीमाओं में बांधना चाहतीं हैं,मन को
कभी चंचल होकर मस्ती करने लगती हैं,
कभी किसी के प्यार में विवश होकर,
अंखियों को आंसूओं में डुबोने लगतीं हैं,
नादानी में फंसकर,कभी भावनाएं खुद में खोने लगती हैं|
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