तुम्हारा साथ क्या छूटा,
लगा जैसे धरती और आसमान
दोनों तनहा हो गए,
चाँद छुप गया बादलों में,
और तारे कहीं खो गए,
तुम क्या गए,जिंदगी से हमारी,
हम तो जीते-जी एक बुत के समां हो गए|
"MY IMAGINATION WILL GO FAR AND WIDE FROM ONE TIDE TO ANOTHER TIDE"
New Delhi |
1 comment:
aap shabdo se chitkaari karan janti hai....
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