कमर झुकी हुई ,लाठी बनी चलने का सहारा,
बुडापे में छूटता जा रहा ,अपनों का सहारा,
आँखें ने ढूँढा ,देखने के लिए ऐनक का सहारा,
बीमारियाँ बहुत सी देने लगीं ,आकर पसारा,
दुनियावालों के देखकर,बदलते हुए रंग,
जीने का जोश और उमंग भी करने लगे किनारा,
हे,प्रभु मदद कर इनकी ,
इन्होने ही तो,अपने-परायों का जीवन संवारा |
1 comment:
Don't get disheartened. God will get a smile on crying eyes.
Love from little sis
Post a Comment