कितना चाहा तुझे ,दिल की गहराइयों से,
बिन सोचे ,पीड़ा जो होगी मन को
कितना सराहा तुझे,अंखियों के झरोखों से,
बिन जाने,तेरा मुझसे दूर जाने के बारे में,
अब नाता ऐसा जुड़ गया,मन से मन का ,
कोई नज़र आतानहीं ,इस सकल जहाँ में,तेरे सिवा|
"MY IMAGINATION WILL GO FAR AND WIDE FROM ONE TIDE TO ANOTHER TIDE"
New Delhi |
1 comment:
khubsoorat bhaw........
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