कर्मों के फल,से न बच सका है कोई,
लाख बुने मन में कपट जाल कोई,
कोई भी चतुराई काम न आती है,
जब लाठी प्रभु की पढ़ जाती है,
जितनी शीघ्र हम उस परम शक्ति को पहचान लें ,
हरी की इच्छा को को जान लें ,
ये संसार तो रैन बसेरा है.
यहाँ कुछ नहीं मेरा है,यदि ,
हम दूसरों से पहले अपनी सुध लें
हर ले को अपने संवार लें,
प्रण कर ले यदि हम अपने मन में
बेफिक्र हो जी सकेंगे हर जनम में|
About Ritu Jain!
- Ritu Jain " Mystic Colors Of Life"
- New Delhi, India
- I am Ritu Jain,48 years and happily married . I live in Delhi. A Housewife who is a Psychology Hons. Graduate and wants to bring cheer and smile to every person who does not have one.Being creative is my lifeline. I am very happy today that I have launched my own Blog, to share my poems,thoughts,experiences and various colors in my life.
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