ठंडी हवा इठलाती हुई बहती है धीरे धीरे ,
हँसती हुई बलखाती हुई बहती है धीरे धीरे,
छूकर दिखाओ मुझे कहती है धीर धीरे,
पूछा मैंने रहती हो कहाँ ,
बोली वो जहाँ तुम मैं वहां,
जहाँ जाओगी ,पाओगी मुझे वहां|
हँसती हुई बलखाती हुई बहती है धीरे धीरे,
छूकर दिखाओ मुझे कहती है धीर धीरे,
पूछा मैंने रहती हो कहाँ ,
बोली वो जहाँ तुम मैं वहां,
जहाँ जाओगी ,पाओगी मुझे वहां|
11 comments:
सुंदर!
शुभकामनाओं के साथ है ब्लॉगजगत में।
लिखती रहें।
wah ji wah ji....kya baat saare shabdo ko piroya hai apne sach me ..namshkaar
भावपूर्ण रचना।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
मुश्किलों से भागने की अपनी फितरत है नहीं।
कोशिशें गर दिल से हो तो जल उठेगी खुद शमां।।
www.manoramsuman.blogspot.com
swagt....
THANK YOU ALL...aapka bahut bahut dhanyawaad
हवा हवा हवा ..........
सुन्दर रचना हवा के इर्द गिर्द बुनी हुयी
Hye,
I m Abhishek Jain
check this link
http://jabhi.blogspot.com
You got quiet an audience... :)
Happy to see that..
Thanks Mohit...for such a wonderful encouragement...keep visiting the blog
यहां तो सब कुछ ‘‘मिस्टिक’’ है ! उम्मीद है आप ‘‘मिस्टीरियस’’ नहीं होंगी:)...अदृश्य भी नहीं:)
Very similar.
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