मन भागता फिरता है दूर गगन की छाँव में,
टिके तो समझाऊं उसे , जीने का राज़ बताऊँ उसे,
तारों की चमक देख कर,मेरे मन में जागी है ललक,
मैं भी आसमान का एक तारा बन जाऊं,
पर इस दीवाने मन को कैसे समझाऊँ मैं,
जीने का राज़ कैसे बताऊँ मैं |
टिके तो समझाऊं उसे , जीने का राज़ बताऊँ उसे,
तारों की चमक देख कर,मेरे मन में जागी है ललक,
मैं भी आसमान का एक तारा बन जाऊं,
पर इस दीवाने मन को कैसे समझाऊँ मैं,
जीने का राज़ कैसे बताऊँ मैं |
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