पंछियों की आज़ादी मत छीनो,
विचरने दो,उन्हें खुली हवाओं में
न करो कैद,उनकी मस्त उड़ानों को,
करने दो मौज,रंगीन फिजाओं में
उनके नन्हे पंखों को,छूने दो आसमान,
गुनगुनाने दो,गीत आज़ादी के,
उनके हौसलों को,भरने दो नित नई उड़ान,
ऐ इंसान,तुम न छीनो,बेबस पंछियों से,उनकी मुस्कान|
विचरने दो,उन्हें खुली हवाओं में
न करो कैद,उनकी मस्त उड़ानों को,
करने दो मौज,रंगीन फिजाओं में
उनके नन्हे पंखों को,छूने दो आसमान,
गुनगुनाने दो,गीत आज़ादी के,
उनके हौसलों को,भरने दो नित नई उड़ान,
ऐ इंसान,तुम न छीनो,बेबस पंछियों से,उनकी मुस्कान|