कैसे जख्म है ये,
जिनका दर्द असहनीय है,
पर दिखाई नहीं देते,
कैसे आंसू है ये,जो
निकलते तो है,पर बहते नहीं,
ये दिल के छाले,जो मिले हैं
अपनों से भी अपनों के अपनेपन से,
रोने को करते है,बहुत मजबूर,
लगता है,इनसे सच्चा प्रेम है,कोसों दूर|
"MY IMAGINATION WILL GO FAR AND WIDE FROM ONE TIDE TO ANOTHER TIDE"
New Delhi |
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