इंसान का हरपल बदलता रूप देखा,
किसी के मन में उजाला,
तो किसी के मन में फैला अँधेरा देखा,
हर पल बदल रहे रिश्तों का अनोखा स्वरुप देखा,
किसी का दिल प्रेम से भरा,तो
किसी का झूठ और फरेब से भरा दिल देखा,
इंसान के खुद के बनाए,ताने-बानों में
उसे ही स्वंय छटपटाते देखा,
साहिल को कश्ती को डुबाते देखा,
भगवन ,
तेरी बनाई हुई कठपुतलियों का नित-नया तमाशा देखा|
1 comment:
very good description! Well done
Little sis
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