हर नई सुबह का करो स्वागत,
बाहें अपनी फैलाकर,
उगते सूरज का करो स्वागत,
बाहें अपनी फैलाकर,
चारों ओर फैली धूप का करो स्वागत,
बाहें अपनी फैलाकर,
माटी से आती सौंधी खुशबू का करो स्वागत,
बाहें अपनी फैलाकर,
चारो ओर फैली हरियाली का करो स्वागत,
बाहें अपनी फैलाकर,
चारो ओर फैली हरियाली का करो स्वागत,
बाहें अपनी फैलाकर,
उस पालनहारे का हर पल मानो एहसान,
जिसने तुम्हे कृतार्थ किया,अपनी कृपा बरसाकर|
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