About Ritu Jain!

New Delhi, India
I am Ritu Jain,48 years and happily married . I live in Delhi. A Housewife who is a Psychology Hons. Graduate and wants to bring cheer and smile to every person who does not have one.Being creative is my lifeline. I am very happy today that I have launched my own Blog, to share my poems,thoughts,experiences and various colors in my life.

Friday, November 12, 2010

उड़ान अद्भुत है मन की,
पल में छूने निक़ल पड़ती है,आसमान
उड़ान अद्भुत है मन की,पल में 
रिश्तों के ताने-बाने से हो जाती है ,परेशान 
कभी-कभी दिशाहीन होकर,मन 
अपने उजालों को अँधेरा समझने लगता है,
रंगों से सजी,अपने जीवन की रंगोली को,
मायूस होकर,बेरंग मानने लगता है,
चलो,अपने मन में प्रेम का दिया जलाएं,
राग,द्वेष का अँधेरा दूर हटाएं,
फिर से,
अपनी जीवन की बगिया में,
आशाओं और उम्मीदों के रंग-बिरंगे फूल खिलाएं|

2 comments:

ASHOK BAJAJ said...

सराहनीय रचना है .

Dinesh Saroj said...

अपने उजालों को अँधेरा समझने लगता है,

सच में हम कभी कभी या यूँ कहें की अक्सर ही अनुकूल परिस्थितियों को भी प्रतिकूल मान अवसाद से घिर जाते हैं....
बहुत ही प्रेरणादायक बातें कहीं है आपने... धन्यवाद!

"चलो,अपने मन में प्रेम का दिया जलाएं,
राग,द्वेष का अँधेरा दूर हटाएं"

 
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