रिश्तें की दास्ताँ है,एक
अंतहीन पीड़ा,
रिश्तों की दास्ताँ हैं,एक
अनबूझी पहेली,
रिश्ते निभाना कला है,एक
जिसे निभाना,कम नहीं एक सजा से,
कोई भी बच नहीं सका है इन रिश्तों के जंजाल से,
हंसकर या रोकर,वो छूट नहीं पाया,इनके मायाजाल से|
"MY IMAGINATION WILL GO FAR AND WIDE FROM ONE TIDE TO ANOTHER TIDE"
New Delhi |
2 comments:
रिश्तों की इतनी विवेचना , क्या बात है
Satya vachan!!!
Little sis
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