नित नए करतब देखता है वो,
अपनी ही बनाई कठपुतलियों का,
किसी में भरा है,छल-कपट,
तो कोई है,नम्रता से भरा,
कोई,दूसरों की हर पल कर रहा मदद,
तो कोई किसी का जीना दूभर कर रहा,
हर प्राणी,है दूसरे से जुदा,
कोई प्रेम बाँट रहा,तो कोई नफरत से भरा,
कर रहा पुण्य कोई,लेकर हर पल प्रभु का नाम,
कोई,हर पल पाप कमा रहा,भूलकर ऊपरवाले का नाम|
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