उसकी आँखों से छलकती हुई
ख़ुशी का कोई पारावार न था,
कैसे कह दे,
उस ख़ुशी से हमारा कोई सरोकार न था,
कभी हमारी खुशियों की वजह वोह थे,
आज उनकी खुशियों की वजह हम हैं,
दूर होने का गम तो रहेगा सदा,
पर संतोष है इस बात का,
आखिर मिल ही गया,जो आपका था सदा|
"MY IMAGINATION WILL GO FAR AND WIDE FROM ONE TIDE TO ANOTHER TIDE"
New Delhi |
1 comment:
Wow! lOVELY POEM FOR BITIYA RANI!!!!
Little sis
Post a Comment