मोतियों की तरह,बिखरें हैं
खुशियों के पल ,बेशुमार,
काश,हर कोई उन्हें सहेजकर,
रख पाता,उन्हें अपने दिल के पास,
हर शख्स खोकर अपना चैन,भाग रहा यहाँ
दुनिया की भीड़ में,जीना भूल चुके लोगों को,
काश कोई दिखाए,सही जीने का मार्ग यहाँ,
तो पल दो पल सुकून के वो भी जी पाएं यहाँ||
3 comments:
सुकून सहेजना भी तो कला है
बहुत उम्दा..
I'm so proud of you dear!
little sis
Post a Comment