क्यों तरसा है,उसका बचपन,
सदा माँ के प्यार को,
क्यों तरसा है,उसका कोमल मन,
सदा माँ के दुलार को,
न जाने कितने बसंत आए,
और आ कर चले गए,
हर वर्ष,अपनी एक नई परेशानी छोड़ गया,
हर अपना बेगाना,उस नन्ही सी बच्ची का,
निष्पाप सा दिल,बेवजह तोड़ गया,
कोई न जाना उसकी मन की अंतहीन पीड़ा को,
कोई न समझा,उस गरीब के घायल मन की व्यथा को,
क्यों तरसा है,उसका बचपन...........
2 comments:
भावभीनी रचना.
aapse mil rahaa hai usse yah nishchal prem!!
love from little sis
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