लाख समझातें हैं,दिल को
पर कहाँ मानताहै,
आपकी बेरुखी को,हमारा
दिल कहाँ पहचानता है,
हर कोशिश करतें हैं,खुश
रखने और रहने की,पता
नहीं कहाँ खता कर बैठते हैं,
हम खुद नहीं जानतें,
आपके चेहरे पर एक मुस्कराहट लाने को,
हमने न जाने कितने यत्न हैं किये,
लाख समझातें हैं दिल को......
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