न जाने कैसा भोलापन लिए थी,
उसकी सूरत,
न जाने कैसा जादू कर रही थी,
उसकी सूरत,
अजीब सी कशिश से परिपूर्ण थी,
उसकी सूरत,
बड़ी फुरसत से बनाई होगी,ऊपरवाले ने,
वो माटी की मूरत|
"MY IMAGINATION WILL GO FAR AND WIDE FROM ONE TIDE TO ANOTHER TIDE"
New Delhi |
3 comments:
वाह
वाह
बहुत ख़ूब मुक्तक !
aa gayi maati ki murat vaapis!
I'm back for you,lots of love
Little sis
very good.
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