क्यों आवाज़ नहीं होती,
सूरज के उगने की,
चाँद के छुपने की,
तारों के टिमटिमाने की,
किसी को दिल से चाहने की,
फिर दर्दे-दिल बढ जाने की,
किसी की तरफ मुस्कुराने की,
रिश्तों में कडवाहट आने की,
फिर दिल के चुपके-चुपके रोने की,
हाय,क्यों आवाज़ नहीं होती,
अपनों की बेरुखी से,
दिल के हज़ार टुकड़ों में बिखर जाने की|
2 comments:
sach kaha aapne..itni saadgi se kah diya is rojmarra ki baat ko. kabhi itni gahrayi se socha nahi tha.
Don't worry for today's episode its part of life.
Love from little sis
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