अक्सर,
तन्हाई में बहुत याद आते हो तुम,
अक्सर,
मेरे सपनों को सजाते हो तुम,
अक्सर,
आसमान के हर तारे में नज़र आते हो तुम,
अक्सर,
मुझे जीवन में आगे बढने की प्रेरणा देते हो तुम,
क्या मेरी तरह,
अपने दिल में,मेरी चाहत को सजाते हो तुम?
"MY IMAGINATION WILL GO FAR AND WIDE FROM ONE TIDE TO ANOTHER TIDE"
New Delhi |
2 comments:
"अक्सर,
तन्हाई में बहुत याद आते हो तुम"
बेहतरीन कविता! बहुत खूब!
बाहर मानसून का मौसम है
बाहर मानसून का मौसम है,
लेकिन हरिभूमि पर
हमारा राजनैतिक मानसून
बरस रहा है।
आज का दिन वैसे भी खास है,
बंद का दिन है और हर नेता
इसी मानसून के लिए
तरस रहा है।
मानसून का मूंड है इसलिए
इसकी बरसात हमने
अपने ब्लॉग
प्रेम रस
पर भी कर दी है।
राजनैतिक गर्मी का
मज़ा लेना,
इसे पढ़ कर
यह मत कहना
कि आज सर्दी है!
मेरा व्यंग्य: बहार राजनैतिक मानसून की
Bilkul! I'm happy to see you happy. Believe it T.M.gone!
little sis
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